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- राम नाम सहज है...

शास्त्र वचन है कि पुनर्वसु नक्षत्र से संयुक्त नवमी तिथि सब कामनाओं को पूर्ण करने वाली है. इस दिन जो राम नवमी का व्रत करता है, उसके अनेक जन्मार्जित पापों की राशि भस्मीभूत हो जाती है, उसे भगवान विष्णु का परमपद प्राप्त होता है. पूजन विधि ‘अगस्त्य संहिता’ के अनुसार, चैत्र शुक्ल नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क लग्न में जब सूर्य अन्यान्य पांच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे, तभी साक्षात भगवान श्रीराम का माता कौशल्या के गर्भ से जन्म हुआ. इसलिए उस दिन उपवास व्रत रखकर भगवान राम की पूजा करना तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करना अनेक पापों को भस्म करने में समर्थ है.
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